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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता » अथ प्रथमोऽध्यायः- अर्जुनविषादयोग- (मोह से व्याप्त हुए अर्जुन के कायरता, स्नेह और शोकयुक्त वचन )‏

6:05 AM
स्वामी धनञ्जय महाराज. http://www.sansthanam.com/ अर्जुन उवाच:- दृष्टेवमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्‌ ॥ सीदन्ति मम गात्राणि मुख...Read More