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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ चतुर्दशोऽध्यायः- गुणत्रयविभागयोग, ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति. Sansthanam.

10:54 AM
(ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति) श्रीभगवानुवाच:- परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम्‌ । यज्ज्ञात्वा मुनयः सर...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ चतुर्दशोऽध्यायः- गुणत्रयविभागयोग, सत्‌, रज, तम- तीनों गुणों का विषय. Sansthanam.

10:51 AM
(सत्‌, रज, तम- तीनों गुणों का विषय) सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः । निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्‌ ॥ भावार्थ :  हे अर्जु...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता » अथ त्रयोदशोऽध्यायः- क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग. ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय. Sansthanam.

10:32 AM
(ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय) श्रीभगवानुवाच:- इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते। एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ द्वादशोऽध्यायः- भक्तियोग. साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय. Sansthanam.

10:09 AM
(साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय) अर्जुन उवाच:- एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासत...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ चतुर्दशोऽध्यायः- गुणत्रयविभागयोग, भगवत्प्राप्ति का उपाय और गुणातीत पुरुष के लक्षण. Sansthanam.

10:02 AM
(भगवत्प्राप्ति का उपाय और गुणातीत पुरुष के लक्षण) नान्यं गुणेभ्यः कर्तारं यदा द्रष्टानुपश्यति । गुणेभ्यश्च परं वेत्ति मद्भावं सोऽधिगच्छति...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता » अथ त्रयोदशोऽध्यायः- क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग. ज्ञानसहित प्रकृति-पुरुष का विषय. Sansthanam.

10:02 AM
(ज्ञानसहित प्रकृति-पुरुष का विषय) प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्‌यनादी उभावपि । विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसम्भवान्‌ ॥ भावार्थ :  प...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ द्वादशोऽध्यायः- भक्तियोग. भगवत्‌-प्राप्त पुरुषों के लक्षण. Sansthanam.

10:00 AM
(भगवत्‌-प्राप्त पुरुषों के लक्षण) अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च । निर्ममो निरहङ्‍कारः समदुःखसुखः क्षमी ॥ संतुष्टः सततं योगी यतात...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना. Sansthanam.

9:54 AM
(विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना) अर्जुन उवाच:- मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो ...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन. Sansthanam.

9:51 AM
(भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन) श्रीभगवानुवाच:- पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः । नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च ॥ भावा...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन. Sansthanam.

9:49 AM
(संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन) संजय उवाच:- एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः । दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुति करना. Sansthanam.

9:45 AM
(अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुति करना) अर्जुन उवाच:- पश्यामि देवांस्तव देव देहे सर्वांस्तथा भूतविशेषसङ्‍घान्‌...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और अर्जुन को युद्ध के लिए उत्साहित करना. Sansthanam.

9:38 AM
(भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और अर्जुन को युद्ध के लिए उत्साहित करना) श्रीभगवानुवाच:- कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धोलोकान्समाहर्तुम...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. भयभीत हुए अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति और चतुर्भुज रूप का दर्शन कराने के लिए प्रार्थना. Sansthanam.

9:35 AM
(भयभीत हुए अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति और चतुर्भुज रूप का दर्शन कराने के लिए प्रार्थना) संजय उवाच:- एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृतांजलिर...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. भगवान द्वारा अपने विश्वरूप के दर्शन की महिमा का कथन तथा चतुर्भुज और सौम्य रूप का दिखाया जाना. Sansthanam.

8:59 AM
(भगवान द्वारा अपने विश्वरूप के दर्शन की महिमा का कथन तथा चतुर्भुज और सौम्य रूप का दिखाया जाना) श्रीभगवानुवाच:- मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदंर...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग. बिना अनन्य भक्ति के चतुर्भुज रूप के दर्शन की दुर्लभता का और फलसहित अनन्य भक्ति का कथन. Sansthanam.

8:53 AM
(बिना अनन्य भक्ति के चतुर्भुज रूप के दर्शन की दुर्लभता का और फलसहित अनन्य भक्ति का कथन) अर्जुन उवाच:- दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जन...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग. भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल. Sansthanam.

8:44 AM
(भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल) श्रीभगवानुवाच:- भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्या...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग. फल और प्रभाव सहित भक्तियोग का कथन. Sansthanam.

8:39 AM
(फल और प्रभाव सहित भक्तियोग का कथन) अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते । इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः ॥ भावार्थ :  मैं वा...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग. अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति तथा विभूति और योगशक्ति को कहने के लिए प्रार्थना. Sansthanam.

8:37 AM
(अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति तथा विभूति और योगशक्ति को कहने के लिए प्रार्थना) अर्जुन उवाच:- परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्‌ । पु...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग. भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन. Sansthanam.

8:30 AM
(भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन) श्रीभगवानुवाच:- हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः । प्राधान्यतः कुरुश्रेष्ठ नास्त...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग. प्रभावसहित ज्ञान का विषय. Sansthanam.

8:21 AM
(प्रभावसहित ज्ञान का विषय) श्रीभगवानुवाच:- इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे । ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌ ॥ भ...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग. जगत की उत्पत्ति का विषय. Sansthanam.

8:18 AM
(जगत की उत्पत्ति का विषय) सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्‌ । कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम्‌ ॥ भावार्थ :  हे अर्जुन...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग. भगवान का तिरस्कार करने वाले आसुरी प्रकृति वालों की निंदा और दैवी प्रकृति वालों के भगवद्भजन का प्रकार. Sansthanam.

8:15 AM
(भगवान का तिरस्कार करने वाले आसुरी प्रकृति वालों की निंदा और दैवी प्रकृति वालों के भगवद्भजन का प्रकार) अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग. सर्वात्म रूप से प्रभाव सहित भगवान के स्वरूप का वर्णन. Sansthanam.

8:12 AM
(सर्वात्म रूप से प्रभाव सहित भगवान के स्वरूप का वर्णन) अहं क्रतुरहं यज्ञः स्वधाहमहमौषधम्‌ । मंत्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम्‌ ॥ भावार्थ ...Read More

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता - अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग. सकाम और निष्काम उपासना का फल. Sansthanam.

8:01 AM
(सकाम और निष्काम उपासना का फल) त्रैविद्या मां सोमपाः पूतपापायज्ञैरिष्ट्‍वा स्वर्गतिं प्रार्थयन्ते। ते पुण्यमासाद्य सुरेन्द्रलोकमश्नन्ति द...Read More