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People misled by ignorance; अज्ञान से गुमराह लोग ।।

जय श्रीमन्नारायण,
Swami Dhananjay Maharaj.
मित्रों, इस संसार में आनेवाला हरेक प्राणी अज्ञानी ही होता है । यथा - जन्मना जायते शूद्रः = जन्म से सब शुद्र (अज्ञानी) ही होते हैं ।।


लेकिन यहाँ आने के बाद जैसी संगती वैसा मन हो ही जाता है । इसीलिए सत्संग की महिमा अनंतानंत बताई गयी है ।।

क्योंकि:-
केचिदज्ञानतो नष्टाः केचिन्नष्टाः प्रमादतः ।
केचिज्ज्ञानावलेपेन केचिन्नष्टैस्तु नाशिताः ।।

अर्थ:- कुछ लोग अज्ञान से गुमराह गये हैं, कुछ प्रमाद से, तो कुछ ज्ञान के गर्व से बिगड गये हैं और कुछ लोगों को बिगडे हुए लोगों ने बिगाडा है ।।

हमें श्रेष्ठ और सदाचारी महापुरुषों की संगती से ही सही रास्ता मिलता है इसलिए सत्संग को ही जीवन की प्राथमिकता समझनी या बनानी चाहिए ।।

।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।


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जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् ।।


।। नमों नारायण ।।

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