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श्री कृष्णजन्माष्टमी का उद्देश्य एवं श्रीकृष्ण का सन्देश ।। The purpose of Shri Krishna Janmashtami And Krishna's message.

जय श्रीमन्नारायण,

जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं, और धर्म का पतन हुआ है, तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया।।



चूँकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, अतः इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में सदियों से मनाया जाता हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। हमारे यहाँ तिरुपति बालाजी मन्दिर में भी भगवान के जन्मोत्सव की तैयारी बड़े धूम-धाम तथा जोरों पर है आज।।


पाप और शोक के दावानल से दग्ध इस जगती तल में भगवान ने पदार्पण किया। इस बात को आज पाँच सहस्र वर्ष हो गए। वे एक महान सन्देश लेकर पधारे। केवल सन्देश ही नहीं, कुछ और भी लाए। वे एक नया सृजनशील जीवन लेकर आए। वे मानव प्रगति में एक नया युग स्थापित करने आए। इस जीर्ण-शीर्ण रक्तप्लावित भूमि में एक स्वप्न लेकर आए।।

जन्माष्टमी के दिन उसी स्वप्न की स्मृति में महोत्सव मनाया जाता है। हम लोगों में जो इस तिथि को पवित्र मानते हैं कितने तो हमारे यहाँ ऐसे मनीषी भी हैं, जो इस विनश्वर जगत में भी उस दिव्य जीवन के अमर-स्वप्न को प्रत्यक्ष देखते हैं?


श्रीकृष्ण गोकुल और वृन्दावन में मधुर-मुरली के मोहक स्वर से, कुरुक्षेत्र तथा युद्धक्षेत्र में (गीता रूप में) सृजनशील जीवन का वह सन्देश सुनाया जो नाम-रूप, रूढ़ि तथा साम्प्रदायिकता से परे है। रणांगण में अर्जुन को मोह हुआ। भाई-बन्धु, सुहृद-मित्र कुटुम्ब-परिवार, आचार-व्यवहार और कीर्ति अपकीर्ति ये सब नाम-रूप ही तो हैं। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इन सबसे उपर उठने को कहा, व्यष्टि से उठकर समष्टि में अर्थात सनातन तत्त्व की ओर जाने का उपदेश दिया।।


भगवान श्रीकृष्ण के बेहतरीन व्यवस्था से राज्यकर्ता (रामराज्य की तरह) के बारे में कौन नहीं जानता। यदि उसे निजी जिंदगी में शामिल कर लिया जाए तो बहुत-सी अनसुलझी समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी।।

भगवान श्रीकृष्ण ने बेटा, भाई, पत्नी, पिता के साथ मित्र की (श्रीकृष्ण+सुदामा) जो भूमिका निभाई, वह आज भी संपूर्ण चराचर के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है।।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हमें उनके गुणों को धारण करने का संकल्प लेना चाहिए, जिससे विश्व का कल्याण हो सकें। उनके श्रीमुख से प्रकट हुई श्रीमद्भगवद् गीता आज भी लोगों को कर्म का पाठ पढ़ा रही है।।

आइए जानते हैं क्या हैं भगवान श्रीकृष्ण के बेहतरीन व्यवस्था का मंत्र :- 



१.असत्य का साथ कभी किसी स्थिति में न दें :-
२.अपनी बात पर सदा कायम रहें :-
३.छल-कपट से धन न कमाएं:-
४.माता-पिता व गुरु का सदा आदर करें :-
५.संकट के समय इष्ट मित्रों एवं स्वजनों को न त्यागें :-
६.अपने कर्म पर भरोसा करें, फल पर नहीं :-


आइये हम भी आज संकल्प लें, कि इन छः बातों को अपने जीवन में उतारने का पूर्ण प्रयास करेंगें।।

मेरे सभी मित्रों को इस पावन पर्व कि हार्दिक बधाई, ये भगवान कृष्ण की जन्माष्टमीव्रत आप सभी के जीवन में नया सवेरा लेकर आये, आप सभी सपरिवार सदा सुखी रहें ।।।

।। नारायण सभी का नित्य कल्याण करें ।।

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।। नमों नारायण ।।

1 comment:

  1. दिव्या धन लक्ष्मी माला
    समस्त कामनाओं की पूर्ति हेतु
    शास्त्रों में अष्ट महालक्ष्मी का वर्णन मिलता हैं, जानिए कौन सी लक्ष्मी बनाएगी आपको मालामाल
    क्या आप जानते हैं शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग इच्छाओं के लिए
    अलग-अलग महालक्ष्मी के रूप को पूजन का विधान बताया गया है। यदि
    हम धन चाहते हैं तो धन लक्ष्मी को पूजें और यदि हम खुद का घर
    चाहते हैं तो भवन लक्ष्मी को पूजें। इसी प्रकार अलग-अलग
    इच्छाओं के लिए अलग-अलग लक्ष्मी रूप हैं।
    ... सभी को अपार धन का मोह है और इसी मोहवश धन की देवी
    महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। देवी महालक्ष्मी की कृपा
    प्राप्ति के लिए व्यक्ति कई तरह के प्रयास करता है। शास्त्रों
    के अनुसार महालक्ष्मी के आठ रूप बताए गए हैं। सभी रूपों का
    अलग-अलग महत्व है। जिस व्यक्ति की जो इच्छा होती है उसी के
    अनुरूप महालक्ष्मी की पूजा करने पर मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण हो
    जाती हैं। ये रूप इस प्रकार हैं...
    -:धन लक्ष्मी:-(दिव्या धन लक्ष्मी माला) धारण कर लक्ष्मी के इस
    रूप की साधना करने से लगातार धन की प्राप्ति होती है।
    -:यश लक्ष्मी:-(दिव्या धन लक्ष्मी माला) धारण कर लक्ष्मी के इस
    रूप की पूजा करने से समाज में मान-सम्मान, यश, प्रसिद्धि,
    प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है -:आयु लक्ष्मी:-(दिव्या धन
    लक्ष्मी माला) धारण कर लक्ष्मी के इस स्वरूप की साधना से
    दीर्घायु एवं स्वास्थ्य प्राप्त होता है। उपासक निरोगी रहता है
    और सुंदर शरीर वाला बना रहता है।
    -:वाहन लक्ष्मी:-(दिव्या धन लक्ष्मी माला) धारण कर : लक्ष्मी
    के इस रूप की उपासना करने से व्यक्ति को वाहनों का सुख प्राप्त
    होता है। व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती
    है।-:स्थिर लक्ष्मी:-(दिव्या धन लक्ष्मी माला) धारण कर लक्ष्मी
    के इस स्वरूप के पूजन से व्यक्ति के घर में अपार धन संपदा सदैव
    बनी रहती है।
    गृह लक्ष्मी:-(दिव्या धन लक्ष्मी माला)धारण कर लक्ष्मी के इस
    रूप की पूजा करने से व्यक्ति को सर्वगुण संपन्न पत्नी की
    प्राप्ति होती है। गृह लक्ष्मी की आराधना से सुंदर, सु-विचारों
    वाली पत्नी की प्राप्ति होती है। -:संतान लक्ष्मी:- (दिव्या धन
    लक्ष्मी माला )धारण कर : देवी के इस रूप को पूजने से भक्त को
    सद् बुद्धि वाली संतान की प्राप्ति होती है। ऐसी संतान
    माता-पिता का नाम रोशन करने वाली! होती है।
    -:भवन लक्ष्मी:- यदि आपको अपना खुद का घर बनवाना है तो( दिव्या
    धन लक्ष्मी माला )धारण कर आप भवन लक्ष्मी की पूजा करें, बहुत
    जल्द आपका खुद का घर बन जाएगा। ************** जय लक्ष्मी
    माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु
    धाता ।। इतिश्री............. प्राप्त करें. ज्ञानसागर प्रताप
    जी महाराज 09166999470 + 09166999472

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