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सत्संग की महिमा ।। Shrimad Bhagwat Katha. Sansthanam.













जय श्रीमन्नारायण,

सत्संग की महिमा ।। Shrimad Bhagwat Katha. Sansthanam.

सत्संग मात्र से मनुष्य सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है । मनुष्य का भगवान की अदभुत लीलाओं से साक्षात्कार होता है । कथा सुनने से ज्ञान बढ़ता है तो मनुष्य भगवान की भक्ति को प्राप्त कर सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है ।।

प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा सत्संग करना चाहिए । बदलते परिवेश में तथा व्यस्तता के दौर में मनुष्य के जीवन में तनाव भी बढ़ रहा है, ऐसे में सत्संग तथा ज्ञान यज्ञ के जरिए मनुष्य सीधे ईश्वर से जुड़ सकता है ।।

कलियुग केवल नाम अधारा - गोस्वामी जी का इस वाक्य से इशारा ही यही है, कि इस कलियुग में सत्संग के आलावा कोई अन्य मार्ग नहीं है कल्याण का । अत: सत्संग सुनने मात्र से ही जीवों को पूर्व कृत सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है ।।

सत्संगति मुद मंगल मूला - हर प्रकार के मंगलों का मूल है, सत्संग ।।

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।। नमों नारायण ।।

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