Method of prostration. साष्टांग प्रणाम करने का तरीका ।। Sansthanam. Silvassa.
Method of prostration. साष्टांग प्रणाम करने का तरीका ।। Sansthanam. Silvassa.
उरसा शिरसा दृष्ट्या मनसा वचसा तथा ।
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग उच्यते ।।
अर्थ:- हृदय, मस्तक, नेत्र, मन, वाणी, चरण, हस्त और घुटने से शरणागत होने को अष्टांग या साष्टांग प्रणाम (वंदन) कहते हैं ।।
सूर्य नमस्कार ।। Surya Namaskar.
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं दोष नाशते ।।
अकालमृत्यु हरणं सर्वव्याधि विनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम् ।।
अर्थ:- जो प्रतिदिन भगवान सूर्य को नमस्कार करते हैं, उनके सहस्र जन्मों के दारिद्र्य दोष मिट जाते हैं, इसलिए हम जैसे ही भगवान सूर्य के चरणामृत को अपने मुख में लेते हैं तो अकाल मृत्यु तक टल जाते हैं । एवं सारी व्याधियों का तत्काल नाश हो जाता है ।।
उरसा शिरसा दृष्ट्या मनसा वचसा तथा ।
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग उच्यते ।।
अर्थ:- हृदय, मस्तक, नेत्र, मन, वाणी, चरण, हस्त और घुटने से शरणागत होने को अष्टांग या साष्टांग प्रणाम (वंदन) कहते हैं ।।
सूर्य नमस्कार ।। Surya Namaskar.
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं दोष नाशते ।।
अकालमृत्यु हरणं सर्वव्याधि विनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम् ।।
अर्थ:- जो प्रतिदिन भगवान सूर्य को नमस्कार करते हैं, उनके सहस्र जन्मों के दारिद्र्य दोष मिट जाते हैं, इसलिए हम जैसे ही भगवान सूर्य के चरणामृत को अपने मुख में लेते हैं तो अकाल मृत्यु तक टल जाते हैं । एवं सारी व्याधियों का तत्काल नाश हो जाता है ।।
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