चाँदनी बन के बरसने लगती हैं तेरी यादें मुझ पर ।।
चाँदनी बन के बरसने लगती हैं तेरी यादें मुझ पर ।। Chandani Bankar Barasane Lagati Hain Teri Yaden Mujhpar.
जय श्रीमन्नारायण,
प्यारे कन्हैया, प्यारे कान्हा जी !
मैं तुम्हें इतने प्यार से बुलाता हूँ, कभी भूलकर ही सही "आ भी जाओ प्यारे" ।।
मेरे प्रियतम के प्यारों, ये मत समझना की ये कोई साधारण अल्फाज हैं । ये तुम्हारे प्रियतम से जुड़े रहने का एक बहाना है, उस भक्ति रस में सराबोर रहने का एक बहाना है ।।
क्योंकि हम उसी के हैं, और वो हमारा ही है । द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्वजाते । तयारन्यः पिप्पलं स्वाद्वत्त्यश्रत्रन्यो अभिचाकशीति ॥ एक साथ रहने वाले तथा परस्पर सख्यभाव रखनेवाले दो पक्षी जीवात्मा एवं परमात्मा, एक हि वृक्ष शरीर का आश्रय लेकर रहते हैं । उन दोनों में से एक जीवात्मा तो उस वृक्ष के फल, कर्मफलों का स्वाद ले-लेकर खाता है । किंतु दूसरा, ईश्वर उनका उपभोग न करता हुआ केवल देखता रहता है ।।
उसी बिछणन को दूर कर उससे मिलने का बहाना ढूंढ़ रहे हैं हम । अगर आप भी उस परमात्मा जो हमारा सखा है, से मिल्न की इच्छा रखते हैं तो आपका स्वागत है ।।
चाँदनी बन के बरसने लगती हैं
तेरी यादें मुझ पर ।।
बड़ा ही दिलकश मेरी
तनहाइयों का मंज़र होता है ।।
तेरी यादें मुझ पर ।।
बड़ा ही दिलकश मेरी
तनहाइयों का मंज़र होता है ।।
ये जिन्दगी बहुत तन्हा है मिलने की भी तलब है,
पर दिल की सदाओं में वो ताकत ही कहाँ है ।।
कोशिश भी बहुत की और भरोसा भी बहुत है,
पर मिल जायें बिछड़ कर वो किस्मत ही कहाँ है ।।
पर दिल की सदाओं में वो ताकत ही कहाँ है ।।
कोशिश भी बहुत की और भरोसा भी बहुत है,
पर मिल जायें बिछड़ कर वो किस्मत ही कहाँ है ।।
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला,
आपका भी वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला ।।
तुम जब (यादों में ही सही) रहते थे जब, आ जाती थी दुनिया सारी,
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला ।।
आपका भी वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला ।।
तुम जब (यादों में ही सही) रहते थे जब, आ जाती थी दुनिया सारी,
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला ।।
कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है,
अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है ।
तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती,
तेरी यादों में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है ।।
अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है ।
तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती,
तेरी यादों में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है ।।
तेरे आने की खबर मुझे ये हवाएं देती हैं,
तुझसे मिलने को मेरी हर साँस तरसती है ।।
तू कब दर्शन देगा प्यारे ! अपने इस दीवाने को,
तुझसे मिलने को अब मेरी हर रूह तरसती है ।।
तुझसे मिलने को मेरी हर साँस तरसती है ।।
तू कब दर्शन देगा प्यारे ! अपने इस दीवाने को,
तुझसे मिलने को अब मेरी हर रूह तरसती है ।।
तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जायेगा ।
आँखें ताजा मंजरों में खो तो जायेंगी मगर,
पर मेरी रूह तो पुराने मौसमों को ढूंढ़ता रह जायेगा ।।
दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जायेगा ।
आँखें ताजा मंजरों में खो तो जायेंगी मगर,
पर मेरी रूह तो पुराने मौसमों को ढूंढ़ता रह जायेगा ।।
कभी तो आ भी जाओ प्रियतम ! क्योंकि प्यारे ! आपके बिना हमारा कोई आस्तित्व ही नहीं बचता ।।
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