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जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी बहुत अखरती है ।।

जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी बहुत अखरती है ।। Janen Kyon Aajkal Tumhari kami Bahut Akharati Hai.


जय श्रीमन्नारायण,
प्यारे कन्हैया, प्यारे कान्हा जी !

जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी बहुत अखरती है ।
याद करते-करते अकेले में, ज़िन्दगी बहुत सिसकती है ।।

पनपने नहीं देता कभी, संसार की मामूली सी ख़्वाहिशों को ।
तुम्हारी यादों से ध्यान हटाने की, जो कोशिश बहुत करती है ।।

कोशिश करते हैं लोग, जो तुझसे ध्यान हटाने का मेरा ।
किसी न किसी बहाने से, मेरा दिल याद तुझे बहुत करती है ।।
Janen Kyon Aajkal Tumhari kami Bahut Akharati Hai
परन्तु प्यारे !
इंतजार करते-करते सब्र की हद हो चली हैं ।
दर्द-ए-दिल कहना हैं अब मुश्किल...
.......और यह आँखें वीरान हो चली हैं ।।

कब तक करेंगे इंतजार अब तो उम्र भी हो चली है ।
हम पे तरस खाके अब तो मौत भी पास आने वाली है ।।

ज़िन्दगी के उलझे सवालों के जवाब ढूंढता हूँ ।
कर सके जो दर्द कम, वोह नशा ढूंढता हूँ ।।
संसार से मजबूर, हालात से लाचार हूँ मैं ।
कहीं मिले आपसे मिलने का बहाना ऐसी राह ढूंढता हूँ ।।
Swami Dhananjay Maharaj
आखिर क्यों मुझे तुम इतना दर्द देते हो ।
जब भी मन में आये क्यों रुला देते हो ।।
तिरछी हैं निगाहें और मीठे हैं बोल तेरे ।
ये कैसी मोहब्बत हैं जो तुम मुझसे करते हो ।।


 

जय जय श्री राधे ।।
जय श्रीमन्नारायण ।।

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