जय श्रीमन्नारायण,
यज्ञ एवं वनस्पतियाँ दो ही ऐसे उपाय हैं, जो प्रकृति को सुचारू रूप से चला सकती है ! अन्यथा इस प्रकृति को उथल-पुथल होकर विनष्ट होने से कोई भी नहीं बचा सकता !!
आधुनिक विज्ञान ने इस प्रकृति को असामान्य रूप से क्षति पहुंचाई है, जिसकी भरपाई हो पाना असंभव तो नहीं, लेकिन मुश्किल जरूर है !!
और इसकी भरपाई का शीघ्रता से एक ही उपाय है - यज्ञ और केवल यज्ञ !!
तो आप सभी मित्रों से निवेदन है, की यज्ञ का ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो, ऐसे कमेंट्स अथवा पोस्ट ज्यादा लिखें, ताकि सम्पूर्ण मानव समुदाय के साथ-साथ सम्पूर्ण प्रकृति को सुरक्षित बनाया जाय तथा इसमें सुख पूर्वक रहा जाय !!
http://balajivedvidyalaya.weebly.com/yagyah.html
!! नमों नारायणाय !!
No comments
Note: Only a member of this blog may post a comment.