Chanakya Neeti
चाणक्यनीति :--
======================
"कान्तावियोगः स्वजनापमानो रणस्य शेषः कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च विनाग्निमेते प्रवहन्ति कायम्।।"
(चाणक्यनीति--2.14)
अर्थः---युद्ध से बचा शत्रु , स्त्री का विरह, अपने जनों का अनादर, दुष्ट राजा की सेवा, ये विना आग के ही शरीर को जलाते हैं।
यथासम्भव इनसे बचना चाहिए।
No comments
Note: Only a member of this blog may post a comment.