Shukra Neeti
चाणक्य-नीति :--
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यदि सफलता चाहते हो तो ये छः काम मत करो...
"षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता ।
प्रभवन्ति विघाताय कार्यस्यैते न संशयः ।।"
(शुक्रनीतिः---3.54)
अर्थः- इस संसार में अपना कल्याण और ऐश्वर्य चाहने वाले मनुष्य को
(1.) निद्रा (दिन में सोना या बहुत अधिक सोना), (दोनों बहुत हानिकारक है),
(2.) तन्द्रा (ऊँघना) आलस्य का एक प्रकार,
(3.) भय,
(4.) क्रोध,
(5.) आलस्य,
(6.) दीर्घसूत्रता (थोडे-से समय के काम को बहुत देर में करना) ।।
इन छः दोषों का परित्याग कर देना चाहिए, क्योंकि ये सब दोष कार्य को नष्ट करने वाले होते हैं, इसमें कोई सन्देह नहीं ।।
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यदि सफलता चाहते हो तो ये छः काम मत करो...
"षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता ।
प्रभवन्ति विघाताय कार्यस्यैते न संशयः ।।"
(शुक्रनीतिः---3.54)
अर्थः- इस संसार में अपना कल्याण और ऐश्वर्य चाहने वाले मनुष्य को
(1.) निद्रा (दिन में सोना या बहुत अधिक सोना), (दोनों बहुत हानिकारक है),
(2.) तन्द्रा (ऊँघना) आलस्य का एक प्रकार,
(3.) भय,
(4.) क्रोध,
(5.) आलस्य,
(6.) दीर्घसूत्रता (थोडे-से समय के काम को बहुत देर में करना) ।।
इन छः दोषों का परित्याग कर देना चाहिए, क्योंकि ये सब दोष कार्य को नष्ट करने वाले होते हैं, इसमें कोई सन्देह नहीं ।।
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