Shukra Neeti
शुक्र-नीति :--
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सफलता का रहस्य :-
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"चिरं संशृणुयान्नित्यं यजानीयात् क्षिप्रमेव च ।
विज्ञाय प्रभजेदर्थान्न कामं प्रभजेत् क्वचित् ।।"
(शुक्रनीति--3.57)
अर्थः- जो व्यक्ति बात को देर तक सुने और उसके तत्त्व (रहस्य) पर शीघ्र पहुँच जाए, किसी भी कार्य के रहस्य को समझकर उसमें हाथ डाले और किसी भी कामना के वश में न पडें (स्वार्थ में न पडे), वही व्यक्ति अपने कार्य के सिद्ध करने में सफल होता है ।।
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सफलता का रहस्य :-
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"चिरं संशृणुयान्नित्यं यजानीयात् क्षिप्रमेव च ।
विज्ञाय प्रभजेदर्थान्न कामं प्रभजेत् क्वचित् ।।"
(शुक्रनीति--3.57)
अर्थः- जो व्यक्ति बात को देर तक सुने और उसके तत्त्व (रहस्य) पर शीघ्र पहुँच जाए, किसी भी कार्य के रहस्य को समझकर उसमें हाथ डाले और किसी भी कामना के वश में न पडें (स्वार्थ में न पडे), वही व्यक्ति अपने कार्य के सिद्ध करने में सफल होता है ।।
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